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Showing posts from October, 2017

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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टिमटिमाती उम्मीदों का काफ़िला मुबारक हो दस्तक देती खुशियों का स्वागत हो ख़ुद के मन को कुछ ऐसे जगमगाओ, हर जन जैसे इक दीये की अमानत हो अमावस में रोशनी की इबादत हो घनघोर निशा में भी जगमगाने की चाहत हो हर रात अब रोशनी की विरासत हो आपके चेहरे पर हमेशा मुसकराहट हो न रात किसी की अंधेरे में गुज़र जाए, इस फिक्र का हर दिल में स्वागत हो हर दीपक का खुले दिल से स्वागत हो हर मन में अब रोशनी की आहट हो                  दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 

किस दर दुआ से दीदार करूँ मैं

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Picture courtesy of  Maltz Evans किस दर दुआ से दीदार करूँ मैं, हर दरवाजे पर दोजख का पैगाम लिखा है। जिन्दगी में लगी आग की दास्तां किसे सुनाऊं, आज सागर में भी धुआँ का इक कोहराम दिखा है। कत्ल आम की दास्ताँ का आलम हमसे न पूछो यारों, इनसानियत पर भी तो ये इल्जाम लगा है। इनसाफ़ भी तो खुद से इस कदर जुदा हुआ, मुझ पर ही मेरे कत्ल का इल्जाम लग गया। इनसानियत की कब्र पर दावत की शाम है। इस शाम में बटी हैवानियत की जाम है। मासूमों के लाश पर बनते है आज महल यहाँ। खुदा की खुदाई पर भी इल्जाम लगा है।

कुछ पाने की खुशी है, कुछ खोने का गम है

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कुछ पाने की खुशी है ,  कुछ खोने का गम है। Picture courtesy of  Pradeep Kumbhashi कुछ पाने की खुशी है , कुछ खोने का गम है। मुसकराहट है होंठों पर , आँखें फिर भी नम है। खुशी है कि जो मैंने देखा था सपना , कदम बढ़ चला है उसी ओर अपना। गम है कि छूटी वो भँवरों की टोली। वो मस्ती , ठिठोली वो खुशियों की होली , बिछड़ सी गई यारों की अपनी टोली। सफर में नए राह मिल तो गए हैं , पर पथ पुराने पराए हुए हैं। आगे मंजिल मुसकुराता खरा है , पीछे राह उदास परे हैं। माना सच होगा सपना वो अपना , जिसके कभी ताने - बाने बुने थे । वो मंजिल मिलेगी जिसकी खुशी है , पर राह जो छूटे उसका तो गम है। बाहर जिंदगी में खुशियों का मौसम है , पर मन में कहीं पर तो वो मातम है। वो बचपन जो छुटा सदा के लिए है। वो मस्ती जो खोई सदा के लिए है। वो यारी जो छूटी सदा के लिए है। धरती उदास , गमगीन अंबर है। पसरी खामोशी की इक चादर है। मन है उदास , खामोश जीवन है , खामोश ज़बान , खामोश कलम है।