उड़ जा रे
Picture courtesy of Susanne Nilsson |
छाया जब धुंध घनेरा हो,
पहचान पर तेरे पहरा हो,
नभ में अंकुश चहुँओर दिखे,
जब सन्नाटे सब ओर बटे।
तू आहट अपनी सुनाएगा,
नभ का पंकज खील जायेगा।
तू पंख लगा कर उड़ जा रे।
तू पंख लगा कर उड़ जा रे।
मंजिल से अपने जुड़ जा रे।
पुलकित पावन परिभाषा तू,
नव युग की रोशन आशा तू।
अम्बर के आनन को छु कर,
हर ज़र्रे को दिखला जा तू।
घनघोर अँधेरा छाया हो,
ज़र्रा-ज़र्रा घबराया हो।
तू रोशनी का संदेश सुना,
हर दीपक को तू जला जा रे।
तू पंख लगा कर उड़ जा रे,
मंज़िल से अपने जुड़ जा रे।
मंज़िल से अपने जुड़ जा रे।
Good going buddy keep it up..
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