जब रोशन हो जहाँ
Picture courtesy of Shan Sheehan
जब रोशन हो जहाँ, तो
हजारों परवाने मिल
जाते है।
छोटी-छोटी बातों के फसाने बन जाते है।
पर जब दौर अंधेरे का आता है,
खुद का साया भी साथ छोर जाता है।
हर चीख अनसुनी सी रह जाती है,
जब तकदीर की कमी रह जाती है।
जब राहें रोशन हो तो मुसाफिर हजारों मिलेंगे,
खरोंच भी लग जाए
तो सहारे हजारों मिलेंगे।
पर वीरान राहों पर ऐसी तकदीर नहीं होती,
जख्म हजारों हैं, पर उनकी कोई तस्वीर नहीं
होती।
Picture courtesy of peter jackson |
जिन्दगी का ये कैसा दोहरा स्वरूप है?
आबाद जंगलों को हरियाली मिलती बेहिसाब है।
पर हर रेगिस्तान का निर्जन बन जाता ख्वाब है।
जिन्दगी के खेल भी अजीब हैं।
जहाँ जीवन है, वहाँ दुनिया नहीं।
जहाँ दुनिया है, वहाँ जीवन नहीं।
kumar vishwas at his best awesome poetry at BIT
Video taken from YouTube channel Crazy Harsh
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